यह अद्भुत दृश्य था.....विहंगम...कुछ विशवास नहीं कर पा रहे थे, कुछ मुस्कुरा रहे थे, कुछ चीख रहे थे और बाकी आंसुओं से भीगे थे ! दृश्य ही कुछ ऐसा था, तिरंगा लहरा रहा था और वो भी बीजिंग में ! जी हाँ .... और इसलिए क्यूंकि ओलम्पिक में भारत ने १९८० के बाद पहला स्वर्ण पदक जीता है। आपको भी विशवास नही हो रहा ? पर यह सच है ! यह पदक हाकी के अलावा किसी भी खेल में भारत का पहला स्वर्ण पदक है और यह इतिहास रचा है भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने ! उन्होंने 10 मीटर एयर राइफ़ल में स्वर्ण पदक हासिल किया।
जहाँ पिछले दो दिनों में एक एक करके सारी भारतीय उम्मीदें टूटती जा रहीं थी, बिंद्रा ने न केवल लाज रखी बल्कि सर गर्व से ऊंचा कर दियाइस बार हालांकि यह उम्मीद थी की हम कोई न कोई पदक जीतेंगे पर तीसरे ही दिन स्वर्ण पदक मिलना वाकई उस देश के लिए अतीव गर्व की बात है जहाँ लोग क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों की तरफ़ आंशिक रूप से भी गर्दन नही हिलाते। हाकी टीम के ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई ना कर पाने से निराश देशवासियों के लिए ये वाकई बड़ी ख़बर है बल्कि बहुत बड़ी ख़बर !
Final shots:
10.7
10.3
10.4
10.5
10.5
10.5
10.6
10.0
10.2
10.8
104.5
Total Score : 700.5
अभिनव बिंद्रा का यह पदक १०४ साल में देश को मिला पहला व्यक्तिगत पदक है और यह निश्चित रूप से उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनके स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई दी है। भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि "ये बहुत बड़ा दिन है और देश के लिए बहुत गर्व की बात है।
उनका कहना था कि अभिनव बिंद्रा युवाओं के लिए एक मिसाल बन गए हैं और इससे भारतीय युवाओं को बहुत बढ़ावा मिलेगा।"
"अभिनव बिंद्रा के जीतने से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज चीन में लहराया और राष्ट्रगान बजा जिससे हम सबका सर गर्व से ऊंचा हो गया"
"कलमाडी का कहना था कि इसमें कोई शक नहीं कि ये ऐतिहासिक दिन है और इसका श्रेय भारतीय शूटिंग महासंघ को भी जाता है."
ज्ञात हो कि खेल रत्न से सम्मानित इस खिलाडी को पदक के दावेदार के तौर पर बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया था और न ही इस बार उनकी चर्चा ज्यादा थी लेकिन तुलसीदास ने कहा है कि सूर समर करनी करहिकही न जनावही आपु मतलब कि वीर कहते नहीं करके दिखाते हैं !
बिंद्रा तुम शूरवीर हो !
तुम लड़े....ऐसे देश में जहाँ लड़ना दुष्कर है
तुम लड़े ..... परिस्थितयों से
तुम लड़े....... समय से
तुम लड़े ....... अपने लिए नहीं, हम सबके लिए
तुम लड़े ...... देश के लिए
तुम जीते ..... इन सबके लिए
तुमको मिला सम्मान हमको मिला गौरवबोध है !
बिंद्रा ......... जीते रहो !!!