Monday, August 18, 2008

अति आत्मविश्वास या अति आशावाद ?



मुक्केबाज़ी के 54 किलोग्राम वर्ग के क्वार्टर फाइनल में मॉलडोवा के मुक्केबाज़ वेसलाव गोजान ने भारतीय मुक्केबाज़ अखिल कुमार को हरा दिया। इस मुकाबले में अखिल कुमार की हार के साथ भारत की ओलम्पिक में एक और मैडल की बड़ी उम्मीद पर तुषारापात हो गया। क्वार्टर फाइनल में अखिल ने विश्व चैम्पियन मुक्केबाज सर्गेई वोदोप्यानोफ़ को हरा कर सनसनी मचा दी थी और इसलिए उनसे उम्मीदें काफ़ी बढ़ गई थी।

रिंग में उतरे अखिल कुमार शुरुआत में आत्मविश्वास से लबरेज़ दिखे पर जल्द ही समझ में आ गया कि ये अति आत्मविश्वास था। पहले राउंड में अखिल ने १-१ के साथ के साथ बढ़त बनाई पर यही स्कोर दूसरे दौर में भी रहा, पर तीसरे और चौथे दौर में वेसलाव गोजान ने ६ अंक ले लिए और उनकी बढ़त अजेय हो गई।

क्वार्टर फाइनल में जीत के बाद एक निजी समाचार चैनल के साथ बातचीत में अति उत्साहित अखिल ने कहा था कि उन्हें ना तो किसी से डर है और न ही कोई उनके मुकाबले में है। उन्होंने बड़ी आक्रामकता से कहा था कि वे स्वर्ण पदक से कम किसी भी चीज़ पर समझौता नहीं करेंगे। शायद यही हुआ अब उन्हें स्वर्ण नही मिला है तो कोई भी पदक नहीं मिलेगा।

अखिल को दुनिया का सबसे बड़ा मन्त्र याद रखना चाहिए कि

अति का भला न बरसना, अति की भली ना धूप

अति का भला ना बोलना, अति की भली न चुप


तो अखिल भइया इससे बड़ा सबक नहीं मिलेगा, आप महान खिलाडी हैं पर महानता को घमंड खा जाता है !

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