प्यारे दोस्तों क्रिकेट तो आप जानते ही हैं लकिन विकेट का अभिप्राय मैंने चोटिल खिलाडियों से रखा हैं
भारत में क्रिकेट को ही खेल कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी, हो भी क्यूँ............... पैसा हैं रुतबा हैं क्रिकेटर तो भगवन हो गए हैं........लकिन कलयुग के ये भगवान् भूल गए हैं की यदि शरीर हैं तो उसमे दर्द भी होगा चोट भी लगेगी और टीम से बाहर भी होना पड़ेगा पर नकली भगवान की माया छु मंतर हो जाएगी.........तभी तो कहता हु प्यारे क्रिक्केतरो इतना ही खेलो की की हमारे मन को भाए इतना नही की आपकी हालत ऐ नादाँ देख कर हमारा मन भर आए......
Sunday, August 10, 2008
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